image source – Google । image by – The Hindu Reservation not fundamental right.
Supreme court – आरक्षण किसी का मौलिक अधिकार नहीं है । सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को लेकर एक बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि – आरक्षण किसी का मौलिक अधिकार नहीं है यह आज का कानून है दरअसल यह टिप्पणी supreme court ने एक याचिका की सुनवाई को लेकर कहीं है । जिसमे ओबीसी के कैंडिडेट्स को 50 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की गई थी । आरक्षण की याचिका किसने लगाईआरक्षण की ये याचिका तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टियों ने लगाई थी इनमें डीएमके , एआईडीएमके, सीपीएम, और तमिलनाडु सरकार शामिल हैं । इन सभी राजनीतिक पार्टियों की ये मांग थी कि तमिलनाडु के ओबीसी छात्रों को ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल व डेंटल कोर्सेज में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए । उनका ये भी कहना था कि आरक्षण की व्यवस्था सही ढंग से लागू की जाए और ओबीसी केटेगरी के लिए आल इंडिया कोटा के तहत 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए । राजनीतिक पार्टियों का कहना था कि मेडिकल कोलेंजों में obc student के लिए आरक्षण नहीं है यह संवैधानिक अधिकारों का उल्लघंन है । सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की सुनवाई में क्या कहा ?सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण किसी का मौलिक अधिकार नहीं जो सकता यह केवल आज का कानून है और ये भी कहा कि किसी को आरक्षण देने से मना कर देना किसी के संवैधानिक अधिकारों का उललघंन नहीं है । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 32 में केवल मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के बारे में लिखा गया है और आरक्षण किसी का मौलिक अधिकार नहीं है इसलिए इससे किसी के अधिकारों का उल्लघंन तो नहीं होता । हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये बहुत अच्छी बात है कि तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टियां किसी मुद्दे पर एक साथ हैं और उनको लोगों के मौलिक अधिकारों की चिंता है हम इस बात पर सभी राजनीतिक पार्टियों की सराहना करते हैं । आगे इस याचिका का क्या होगा ?सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की सुनवाई में कहा है कि आप याचिका को वापस ले और आपको हाई कोर्ट में जाना चाहिए । सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों को इस बात की स्वतंत्रता दी है कि वो इस याचिका को लेकर मद्रास हाई कोर्ट में जा सकते हैं । आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट आरक्षण को लेकर पहले भी टिप्पणी कर चुका है कि आरक्षण किसी का मौलिक अधिकार नहीं है और आरक्षण ना देना किसी भी मौलक अधिकार का उल्लघंन नहीं है और ना ही की संवैधानिक अधिकार के खिलाफ है ।
आपको सुप्रीम कोर्ट की ये टिप्पणी कैसी लगी और इसके बारे में आपकी क्या राय है हमें जरूर बताएं और ये जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं ।
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