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काशी मथुरा मंदिर-मस्जिद फोटो |
राम मंदिर की ताजा खबर
राम मंदिर के बारे में आप सबको पता होगा शिलान्यास होने के बाद अब मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है और कई दशकों पुराना राम मंदिर का विवाद अब हमेशा के लिए समाप्त हो चुका है , राम मंदिर के बाद अब काशी विश्वनाथ और मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर पर चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है, काशी मथुरा मंदिर विवाद क्या है इससे संबंधित सभी सवालों का जवाब जानने के लिए हमने एक रिपोर्ट तैयार की है आइए देखते हैं ।
काशी मथुरा मंदिर विवाद क्या है
सबसे पहले आपको ये बता दें कि मथुरा में श्री कृष्ण भगवान की जन्मभूमि पर मंदिर है और काशी में जो मंदिर है वो भगवान शिव का मंदिर है दोनों ही मंदिर बहुत पवित्र हैं और हिन्दू धर्म के लिए आस्था के प्रतीक हैं अब बात करते हैं कि इन पर विवाद किस बात का है
मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि की बिल्कुल बगल में सटकर जामा मस्जिद बना हुआ है जिस पर हिन्दुओं को आपत्ति है हिन्दुओं का ये मानना है कि इस मस्जिद का निर्माण कृष्ण जन्मभूमि पर अतिक्रमण करके उसको तोड़कर करवाया गया था इसलिए जामा मस्जिद को हटाकर जन्मभूमि को आजाद किया जाए
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इसी तरह काशी में भगवान शिव का मंदिर है जहां पर भगवान शिव और पार्वती विराजमान है इस मंदिर में बारे में का जाता है कि मुगलों ने इस मंदिर को कई बार तोड़ा और शिवलिंग को तोड़कर बाहर फेंक दिया लेकिन हिन्दू शासकों ने भी बीच बीच में इसका जीर्णोद्धार करवाया उसके बाद औरंगजेब ने 1669 में इस मंदिर को ध्वस्त करने के आदेश दिए और मंदिर तोड़कर ज्ञान व्यापी मस्जिद बना दी गई थी ।
अब जो काशी विश्वनाथ मंदिर है उसके पास में ही ज्ञानव्यापी मस्जिद है जो कि मंदिर की जगह पर ही अतिक्रमण करके बनाई हुई है इसलिए मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद को हटाकर पूरी जमीन काशी विश्वनाथ मंदिर को दी जाए लेकिन इन सबके बीच में एक कानून ने रुकावट पैदा कर रखी है उस कानून का नाम है “ प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 ”
प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 क्या है
“प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991” कानून को 1991 में बनाया गया था इसके तहत ये प्रावधान रखा गया है कि 15 अगस्त 1947 के समय जब देश आजाद हुआ था उस समय जो भी धार्मिक पूजा स्थल जिसके हिस्से में साय था उस पर उसी धर्म के लोगों का अधिकार रहेगा और अर्थात अगर किसी मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी और यदि आजदी के समय वो मस्जिद ही थी तो उस पर मुस्लिम धर्म के लोगों का ही अधिकार रहेगा ये इस कानून का मतलब है ।
सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को हिन्दू पुजारियों ने चुनौती दी थी और इस कानून को हटाने की मांग की थी लेकिन पीस पार्टी ने हिन्दू पुजारियों के खिलाफ जाकर उनकी याचिका पर सुनवाई ना करने की बात कही और इसे धर्म निरपेक्षता के खिलाफ भी बताया था ।
सुब्रमण्म स्वामी ने भी दी इस कानून को चुनौती
इस विवाद में अब बीजेपी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती दी है उन्होंने याचिका दायर करके धार्मिक स्थल एक्ट 1991 ( places of worship act ) को मौलिक अधिकारों का उल्लघंन बताया है ।
जब राम मंदिर का फैंसला हुआ तो सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक स्थल एक्ट 1991 को संवैधानिक रूप से सही बताया था और इसे कहा था कि इस कानून को धर्म निरपेक्षता बनाए रखने के लिए बनाया गया है ।
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