राम मंदिर का निर्माण 5 अगस्त 2020 को शुरू हो चुका है आप सबको ये तो पता ही होगा कि कई दशकों तक कोर्ट में केस चलने के बाद 2019 में फैसला राम मंदिर के पक्ष में आया था ऐसे में आपको राम मंदिर का संपूर्ण इतिहास भी पता होना चाहिए कि राम मंदिर किसने तोड़ा , बाबरी मस्जिद का निर्माण कब हुआ , राम मंदिर निर्माण के फैसले तक इस भारत में क्या क्या हुआ पता नहीं कितने लोगों ने जान गंवा दी आसान नहीं है राम मंदिर निर्माण का ये सफर आइए पढ़ते हैं इस रिपोर्ट में
राम मंदिर का संपूर्ण इतिहास
1528 बाबर के सेनापति मीर बांकी ने एक मस्जिद का निर्माण करवाया यह मस्जिद एक मंदिर को तोड़कर उसके उपर बनवाई गई थी हिन्दुओं का मानना था कि यह भगवान श्री राम की जन्मभूमि है और यहां पर राम भगवान की मूर्तियां विराजमान है साथ ही यह हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल भी है , इसके बाद इसी मस्जिद की बाबरी मस्जिद का नाम दिया गया जिसे लेकर करीब 500 सालों तक कोर्ट में केस चला
राम मंदिर को लेकर पहली बार विवाद
1853 में राम मंदिर को लेकर पहली बार हिन्दू मुस्लिमों में झगड़ा हुआ इससे पहले 1528 से लेकर 1853 तक मुगलों का अत्याचार अपने चरम पर था इसलिए हिन्दुओं की आवाज दबी हुई थी और इस कारण से मस्जिद को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ लेकिन 1853 में जब अंग्रेजों ने सत्ता अपने हाथों में ले ली तो मुगलों का शासन भी कमजोर हो गया इसी बीच हिन्दुओं ने 1853 में पहली बार मंदिर का मुद्दा उठाया जिस वजह से हिन्दू और मुस्लिम में झगड़ा हो गया ।
1859 में अंग्रेजों ने इस विवाद के कारण विवादित जगह पर एक लोहे की बाड़ लगा दी और अन्दर की तरफ मुस्लिमों को नमाज पढ़ने तथा बाहर की तरफ हिन्दुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी गई
जब मंदिर में मूर्तियां प्रकट हुई
साल 1949 जब मस्जिद ने मूर्तियां प्रकट हुई तो मुस्लिम पक्ष ने कहा कि मूर्तियां रात में रखी गई है लेकिन हिन्दुओं का कहना था कि मूर्तियां प्रकट हुई हैं , जब इस बात की लेकर ज्यादा विवाद हुआ तो सरकार ने मूर्तियां हटाने के आदेश दिए लेकिन जिला अधिकारी केके नैय्यर ने मना कर दिया और कहा कि इससे सांप्रदायिक दंगे भड़क सकते हैं , इस कारण से सरकार ने यहां पर ताला लगा दिया ।
साल 1961 में सब्जी बफ बोर्ड ने मुकदमा दायर करके विवादित जमीन मुस्लिम पक्षकारों को लौटाने की विनती की और मूर्तियां हटाने की मांग भी की लेकिन उनकी इस मांग को कोर्ट ने खारिज कर दिया ।
1982 में विश्व हिन्दू परिषद ने हिन्दू मंदिरों को तोड़कर बनाए गए मस्जिदों को बहुत बड़ी साजिश बताया और इसके बाद 1984 में संत महात्माओं और हिन्दू नेताओं ने दिल्ली में ये फैंसला किया कि मूर्तियों का ताला खोलने के लिए आंदोलन किया जाएगा
1986 में जिला न्यायधीश केएम पांडेय ने आदेश पर ताला खोल दिया गया इसके विरोध में मुस्लिम पक्ष ने बाबरी एक्शन कमेटी का गठन किया 1989 में विश्व हिन्दू परिषद ने राम मंदिर के लिए पूरे देश में मुहिम शुरू की ।
25 सितंबर 1990 लाल कृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक रथयात्रा शुरू लेकिन बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के ने उन्हें समस्तीपुर में गिरफ्तार करवा दिया इसके बाद 2 नवंबर 1990 में एक और घटना हुई जिसमें कारसेवकों पर गोली चलवाई गई थी इस कांड में कोठारी बंधुओं समेत कई कारसेवकों की जान चली गई थी जिसके विरोध में हिन्दुओं ने जेल भरो आंदोलन किया ।
4 अप्रैल 1991 दिल्ली में मुलायम सरकार के विरोध में बहुत बड़ी हिन्दू रैली निकाली गई जिसके कारण मुलायम सरकार को इस्तीफा देना पड़ा और चुनाव के बाद बीजेपी की सरकार बनी मुख्यमंत्री का पदभार कल्याण सिंह को मिला ।
अक्टूबर 1991 में कल्याण सिंह की सरकार ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन को अपने अधिकार में ले किया और 42 एकड़ जमीन श्री राम कथा कुंज को दे दी गई इसके बाद भूमि का समतलीकरण किया गया ।