एंटीलिया मामले में वाजे की गिरफ्तारी और परमबीर का तबादला क्या किसी बड़ी साज़िश की ओर इशारा करता है? जाने इस मुद्दे पर अर्नब की राय

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देश के प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक मिलने के मामले में परमबीर सिंह की मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से छुट्टी हो गई है। परमबीर की जगह हेमंत नगराले को मुंबई पुलिस कमिश्नर बनाया गया है। परमबीर सिंह अब महाराष्ट्र होमगार्ड की डीजी का पदभार संभालेंगे। एंटीलिया केस में वाजे की गिरफ्तारी और उसके बाद हुई जांच से हुए खुलासों के बाद परमबीर सिंह को कमिश्नर के पद से हटा दिया गया है।

 

 

केस में जो खुलासे हुए वो चौंकाने वाले थे। सवाल उठने लगे कि क्या वाजे जैसा एक छोटा पुलिस अधिकारी अकेले अपनी मर्जी से ऐसे काम कर सकता है। NIA की जांच में ये बात साफ हो चुकी है कि मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक वाली गाड़ी मिली थी उसका सीधा कनेक्शन वाजे से था। एनआईए के मुताबिक विस्फोटक वाली स्कॉर्पियो खड़ी करने के बाद सचिन वाजे खुद इनोवा कार चलाकर गया था।

 

इतना ही नहीं काली मर्सिडीज से वाजे के कपड़े और स्कॉर्पियो का असली नंबर प्लेट भी मिला है। इसके बाद पूरा देश यही सवाल पूछ रहा था कि क्या एक एसिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर की इतनी हिम्मत हो सकती है कि वो इतनी बड़ी साजिश रचे। आज महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने भी यही सवाल उठाए। उन्होंने कहा मुंबई के पुलिस आयुक्त का तबादला करने से मामला खत्म नहीं हो सकता, सचिन वाजे के राजनीतिक आकाओं का पता लगाया जाना चाहिए । उन्होंने कहा परमबीर सिंह और सचिन वाजे बहुत छोटे लोग हैं, इनके पीछे असली खेल कोई और खेल रहा है। सचिन वाजे को ऑपरेट करने वाले उनके आका कौन हैं उन्हें ढूंढ कर निकालना होगा। एंटीलिया के पास जिलेटिन रखने का मकसद और मंशा जाननी होगी।

 

अर्नब की राय

आज सत्य की जीत हुई है, साजिश हार गया है। मैं हमेशा से कहता आया हूं कि छोटे से छोटा सच हमेशा बड़ी से बड़ी साजिश पर भारी पड़ता है। आज ये बात साबित हो गयी। परमबीर सिंह को आज मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद से हटा दिया गया है। दो दिन पहले सचिन वाजे को सस्पेंड किया गया था। आज उनपर खिलाफ आतंकवाद, दहशतगर्दी जैसे आरोप लगे हैं।

 

जब ये सब हो रहा था तब परमबीर सिंह को जानकारी थी या नहीं थी? ये बड़ा सवाल है। क्या एक असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर की इतनी हैसियत हो सकती है कि वो इतनी बड़ी साजिश रचे। मैं पूछता हूं कि सचिन वाजे में इतनी हिम्मत आयी कहां से ?

 

दरअसल, असल मुद्दा ये है कि जब रिपब्लिक मीडिया के खिलाफ साजिश हुई तब परमबीर सिंह और सचिन वाजे को लुटियन मीडिया और रिपब्लिक के खिलाफ जो मीडिया है उन्हें कितना समर्थन मिला… उनकी क्या डील थी… बेबुनियाद और झूठे आरोप रिपब्लिक टीवी, रिपब्लिक मीडिया के खिलाफ लगाए गए, पुलिस ने जो गलत किया वो किया, पर उस झूठ को बढ़ा चढ़ा कर जो चैनल रिपब्लिक मीडिया से मुकाबला नहीं कर सकते, उनलोगों ने परमबीर और वाजे के साथ हाथ मिला कर टीआरपी चोर कहा की नहीं।

 

आज वो मीडिया वाले क्या कहेंगे। आज वो कहेंगे कि इस सबमें सबसे बड़े साथी वो थे। आज क्या वो लोग मानेंगे कि क्योंकि उन्हें लगा कि परमबीर और वाजे के साथ हाथ मिला कर देश के राष्ट्रवादी उभरते हुए मीडिया नेटवर्क को रोका जा सकता है इसलिए जो भी झूठ उन्होंने दिखाया, वो इनलोगों ने बिना तहकीकात किए मान लिया, और दिखा दिया। आज ये मामला सच और झूठ का है। आज जब सच की इतनी बड़ी जीत हुई है तो उस लुटियन मीडिया को याद रखना चाहिए कि किसी की ओर उंगली उठाने पर चार उंगलियां उनकी तरफ भी उठेंगे? इसलिए आज मैं कहता हूं कि देश की जनता उस मीडिया से पूछे कि जो वाजेगेट कहा जा रहा है उस कांड और कलंक के पीछे क्या है। अगर वो सच के साथ रहते तो ये दिन न आता। अब देश पूछ रहा है उन मीडिया वालों से क्या ये सचिन वाजे आपके नंबर वन श्रोता थे या नहीं, क्या आप उनकी चीजें बिना जांचे छापते थे या नहीं।

 

मैं हमेशा से कहता आया हूं कि सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं। मेरा सौभाग्य है कि मुझे देश के लिए इतना कुछ करने का मौका मिल रहा है। जिन लोगों ने तब रिपब्लिक पर सवाल उठाए थे, आज देश की जनता उनपर सवाल उठा रही है। क्या वो आज जवाब देंगे, क्या वो आज पूरे देश से माफी मांगेगे।

 

 

News credit – Republic bharat

 

 

 

 

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