बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र और सही तरीका , इस मंत्र से भोलेनाथ होंगे प्रसन्न 2024 – Belpatra Chadhane ka Mantra

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Belpatra Chadhane ka Mantra : भगवान शिव का सबसे प्रिय मास सावन है , सावन मास में शिवजी को बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं अगर आप भी भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाते हैं तो आपको शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र , बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका पता होना चाहिए आइए जानते हैं क्या है बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका और मंत्र क्या है।

बेलपत्र चढ़ान का सही तरीका

बेलपत्र को तोड़ने से पहले स्नान कर लेना चाहिए बहुत लोग ऐसे भी हैं जो बेलपत्र तोड़कर रख लेते हैं बाद में स्नान करते हैं जो की गलत है और बेलपत्र तोड़ते समय भगवान शिव का मन में ध्यान करें , बेलपत्र के साथ डंठल या उसमें छोटी सी टहनी नहीं होनी चाहिए तीनों पत्तियां बिना कटी हुई या टूटी हुई नहीं होनी चाहिए

इसके बाद भगवान शिव के मंदिर में जाकर उनको जल और पुष्प अर्पण करें उसके बाद बेलपत्र की तीनों पत्तियों पर चंदन लगाएं और भगवान शिव के ऊपर उसको रखते हुए बेलपत्र के मंत्र ” त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌” का उच्चारण करें

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शिवजी को बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र 

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌ ।

त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌ ॥

इस मंत्र का यह अर्थ है क‍ि तीन गुण, तीन नेत्र, त्रिशूल धारण करने वाले और तीन जन्मों के पाप को संहार करने वाले हे शिवजी आपको त्रिदल बिल्व पत्र अर्पित करता हूं।

यह मंत्र शिव जी को बहुत प्रिय है और शिव जी इससे प्रसन्न होते हैं यदि आप संपूर्ण मंत्र बोलना चाहे तो नीचे पढ़ सकते हैं

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र सम्पूर्ण  

नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च

नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो

दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥

दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम्‌ पापनाशनम्‌ ।

अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌ ॥

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌ ।

त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌ ॥

अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्‌ ।

कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌ ॥

गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर ।

सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय ॥

 

शिवजी को बेलपत्र क्यों चढ़ाए जाते हैं

भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाए जाने के पीछे बहुत ही रोचक कथा है मान्यता है कि जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से हलाहल विष निकला था जिससे सारी सृष्टि में हाहाकार मच गया, सृष्टि को संकट में देखकर सभी देवताओं ने महादेव भगवान शिव से प्रार्थना की तो भगवान शिव ने हलाहल विष को पीकर अपने कंठ पर रख लिया , हलाहल विष के कारण भगवान भोलेनाथ के कंठ में बहुत गर्मी हो गई जिससे कंठ जलने लगा , हलाहाल विष का प्रभाव समाप्त करने के लिए देवताओं ने भगवान शिव को जल चढ़ाया और उनके मस्तिष्क को शीतल करने के लिए बेलपत्र चढ़ाए,  इसलिए भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं और बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं

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